मक्का मस्जिद ब्लास्ट मामले में आसीमानंद सहित सभी आरोपी बरी
On Date : 16 April, 2018, 12:28 PMनई दिल्ली: हैदराबाद की मशहूर मक्का मस्जिद पर 2007 में हुए विस्फोट के मामले में मुख्य आरोपी स्वामी असीमानंद को सोमवार को हैदराबाद के नामपल्ली आपराधिक कोर्ट ने बरी कर दिया है. उनके साथ ही अन्य पांच आरोपियों को भी बरी कर दिया गया है. जानकारी के अनुसार आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत न होने के कारण कोर्ट ने ये फैसला सुनाया. बरी किए गए अन्य पांच आरोपियों के नाम देवेंद्र गुप्ता, लोकेश शर्मा, स्वामी असीमानंद उर्फ नबा कुमार सरकार, भारत मोहनलाल रत्नेश्वर उर्फ भारत भाई और राजेंद्र चौधरी हैं. आपको बता दें कि 2007 में मक्का मस्जिद में हुए ब्लास्ट में नौ लोगों की मौत हो गई थी. वहीं करीब 58 लोग घायल हो गए थे.
All accused in Mecca Masjid blast case have been acquitted by Namapally Court #Hyderabad pic.twitter.com/EzHgvnlGXD
— ANI (@ANI) April 16, 2018
असीमानंद सहित पांच आरोपियों को बरी किए जाने को लेकर गृहमंत्रालय के पूर्व अवर सचिव आर वी एस मणि ने कोर्ट के फैसले पर खुशी जताई. उन्होंने कहा कि, मामले में झूठे सबूत पेश किए गए थे. ब्लास्ट के इस केस में हिंदू टेरर का कोई एंगल नहीं था. उन्होंने शिवराज पाटिल और चिदंबरम पर आरोप लगाते हुए कहा कि इन लोगों ने हिंदू आतंकवाद का झूठ फैलाया था. उन्होंने कहा कि इन दोनों को अब देश से माफी मांगनी चाहिए.
I had expected it. All the pieces of evidence were engineered, otherwise, there was no Hindu terror angle: RVS Mani, former Under Secretary, Ministry of Home Affairs on all accused in Mecca Masjid blast case acquitted pic.twitter.com/d8lDnqE5cG
— ANI (@ANI) April 16, 2018
फैसला आने के बाद एनआईए की ओर से कहा गया कि कोर्ट के फैसले की कॉपी मिलने के बाद वे आगे की कार्रवाई तय करेंगे.
We will examine the court judgment after we get a copy of the same and decide further course of action: NIA on all accused in Mecca Masjid blast case acquitted
— ANI (@ANI) April 16, 2018
18 मई 2007 को जुमे की नमाज के वक्त दोपहर करीब 1:25 बजे मक्का मस्जिद में पाइप बम धमाका हुआ था. इस ब्लास्ट को मोबाइल की मदद से ऑपरेट किया गया था. ब्लास्ट में मौके पर ही करीब नौ लोगों की मौत हो गई थी. वहीं 58 लोग घायल हो गए थे. ब्लास्ट के बाद हुई जांच में सामने आया था कि जिस बम में धमाका हुआ उसे बम वजुखाना में संगमरमर की बेंच के नीचे लगाया गया था. इसे विशेष तौर पर नमाज के वक्त एक्टिव किया गया. घटना के समय मस्जिद में हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे.
ब्लास्ट के बाद मस्जिद में तीन बम और मिले थे, जिनमें से एक दीवार के पास और दो वजुखाने के पास मिले थे. घटना से आक्रोशित लोगों ने विरोध में प्रदर्शन किया था. इस दौरान पुलिस को स्थिति काबू में लेने के लिए फायरिंग करनी पड़ी थी, जिसमें पांच लोग मारे गए थे. ब्लास्ट में शुरुआती जांच पुलिस ने ही की थी, लेकिन बाद में इस केस को सीबीआई को सौंप दिया गया था. साल 2011 में एनआईए ने मक्का मस्जिद ब्लास्ट को ये केस दे दिया गया. असीमानंद और लक्ष्मण दास महाराज सहित कई नेताओं को 19 नवंबर 2010 को गिरफ्तार किया गया था.
पिछले 11 सालों से कोर्ट में चल रहे इस मामले में अब तक कई मोड़ आ चुके हैं. मामले के दो मुख्य आरोपी संदीप वी डांगे और रामचंद्र कलसंगरा को पुलिस इतने सालों में भी पकड़ने में कामयाब नहीं हो सकी. एक प्रमुख अभियुक्त और आरएसएस के कार्यवाहक सुनील जोशी को जांच के दौरान ही गोली मार दी गई थी. वहीं गवाह बनने वाले 160 लोगों में से 54 चश्मदीद अपनी गवाही से मुकर गए थे.
स्वामी असीमानंद को इस साल मार्च में अजमेर ब्लास्ट केस में बरी कर दिया गया था. मालेगांव और समझौता धमाके में भी उन्हें जमानत दी जा चुकी है.
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