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June 6, 2025
राष्ट्रीय

सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली को हाई कोर्ट से मिली राहत, सांप्रदायिक वीडियो मामले में गिरफ्तारी पर रोक

सोशल मीडिया पर कथित रूप से सांप्रदायिक वीडियो साझा करने के आरोपों में घिरीं इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली को कलकत्ता हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने उन्हें इस मामले में अंतरिम जमानत प्रदान की है, जिससे उनकी गिरफ्तारी पर फिलहाल रोक लग गई है। यह फैसला उस वक्त आया है जब राज्य में सोशल मीडिया पर भड़काऊ सामग्री के खिलाफ कार्रवाई तेज़ की जा रही है।

गिरफ्तारी से पहले हाई कोर्ट का हस्तक्षेप

शर्मिष्ठा के खिलाफ गार्डेनरीच थाने में मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद पुलिस द्वारा गिरफ्तारी की प्रक्रिया शुरू की जा रही थी, लेकिन दो दिन पहले हाई कोर्ट ने पुलिस को केस डायरी अदालत में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। न्यायालय ने यह आदेश उस याचिका के आधार पर दिया, जिसमें शर्मिष्ठा ने अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की थी। अदालत ने साफ कहा कि वह बिना उचित तथ्यों के किसी भी तरह की गिरफ्तारी को न्यायसंगत नहीं मानती।

राज्य सरकार को चेतावनी

इस पूरे मामले में अदालत ने पश्चिम बंगाल सरकार को भी निर्देशित किया कि जब तक यह मामला अदालत में विचाराधीन है, तब तक शर्मिष्ठा पनोली के खिलाफ कोई नया मामला दर्ज न किया जाए। यह आदेश राज्य सरकार की उस कार्रवाई के संदर्भ में आया जिसमें कहा जा रहा था कि उनके खिलाफ और भी धाराएं जोड़ी जा सकती हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि कानून का पालन करते हुए अभियोजन प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता अनिवार्य है।

सोशल मीडिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बहस

यह मामला एक बार फिर सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम सामाजिक सौहार्द की बहस को सामने ले आया है। एक ओर कुछ लोग इसे व्यक्तिगत राय रखने का अधिकार बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इससे सामाजिक तनाव फैलने की संभावना भी जताई जा रही है। हाई कोर्ट का यह फैसला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को एक स्तर तक संरक्षण देने वाला माना जा सकता है, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि कानून के दायरे से बाहर कोई भी बयानबाजी स्वीकार नहीं की जाएगी।

आगे क्या होगा?

फिलहाल शर्मिष्ठा पनोली को अंतरिम राहत मिल चुकी है, लेकिन मामला अभी न्यायिक प्रक्रिया के अधीन है। अगली सुनवाई में यह देखा जाएगा कि उनके द्वारा पोस्ट की गई सामग्री वास्तव में सांप्रदायिक भावना भड़काने वाली थी या नहीं। अगर अदालत को ऐसे प्रमाण मिलते हैं जो उनके खिलाफ आपराधिक मंशा दर्शाते हैं, तो उन्हें पुनः कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ सकता है।

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