मध्य पूर्व में ईरान और इजरायल के बीच जारी तनाव अब एक नए मोड़ पर पहुंचता दिखाई दे रहा है। बीते कुछ दिनों से दोनों देशों के बीच हालात बेहद संवेदनशील बने हुए हैं, और अब ईरान की ओर से उठाए गए हालिया कदमों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता को और बढ़ा दिया है। सोमवार, 16 जून 2025 को ईरान के विदेश मंत्रालय ने संकेत दिए कि देश की संसद एक ऐसा विधेयक तैयार कर रही है, जिसके ज़रिए ईरान परमाणु अप्रसार संधि (NPT) से बाहर निकलने का रास्ता तलाश सकता है।
ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बाघई हमदानी ने इस विषय पर बोलते हुए कहा कि यह पहल अभी प्रारंभिक चरण में है। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि ईरान का इरादा परमाणु हथियार विकसित करने का नहीं है। उनके अनुसार, ईरान अब भी इस सिद्धांत पर कायम है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है।
बाघई ने इस बयान के साथ यह भी कहा कि संधि से बाहर निकलने का निर्णय फिलहाल अंतिम रूप नहीं ले पाया है। ईरानी संसद में प्रस्ताव को लेकर शुरुआती कानूनी प्रक्रिया शुरू की गई है, लेकिन अभी यह केवल एक सुझाव या प्रारूप के तौर पर सामने आया है, जिस पर संसद में विचार-विमर्श जारी है।
इस बीच, ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी ने बताया कि अभी तक ईरानी संसद ने इस मुद्दे पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है। एक सांसद के हवाले से यह जानकारी दी गई कि प्रस्ताव को केवल विचार हेतु पेश किया गया है, और इसकी औपचारिक स्वीकृति के लिए कानूनी प्रक्रियाएं तय समय पर पूरी की जाएंगी।
बीते सप्ताह ईरान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चौंका दिया था, जब उसने खुद ही यह स्वीकार किया कि वह अब परमाणु बम निर्माण के बेहद करीब है। हालांकि तेहरान की ओर से बार-बार यह कहा जाता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल ऊर्जा उत्पादन और वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए है, लेकिन वैश्विक संस्थाएं इस दावे पर संदेह करती रही हैं।
इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) ने भी पिछले सप्ताह एक अहम रिपोर्ट में यह बताया था कि ईरान अपने परमाणु दायित्वों और एनपीटी के अंतर्गत किए गए समझौतों का पालन नहीं कर रहा है। इस रिपोर्ट के बाद अमेरिका, यूरोपीय संघ और कई अन्य देशों ने ईरान की गतिविधियों को लेकर चिंता जताई थी।
अब जब ईरान की संसद में एनपीटी से बाहर निकलने की संभावित तैयारी की चर्चा हो रही है, तो यह स्पष्ट संकेत है कि ईरान और पश्चिमी देशों के बीच परमाणु मुद्दे को लेकर टकराव और गहरा सकता है। अगर ईरान इस संधि से औपचारिक रूप से अलग होता है, तो इसका सीधा असर मध्य पूर्व की रणनीतिक स्थिरता पर पड़ सकता है और इजरायल के साथ उसके संबंध और अधिक कटु हो सकते हैं।
दुनियाभर की निगाहें अब ईरान की संसद और वहां होने वाली बहस पर टिकी हैं, जहां यह तय होगा कि क्या ईरान वास्तव में वैश्विक परमाणु नीति के फ्रेमवर्क से बाहर निकलने का जोखिम उठाएगा या किसी कूटनीतिक समाधान की ओर अग्रसर होगा।